Monday, December 26, 2011

कुछ शब्द लखनऊ पुलिस की तारीफ में


पिछली रात मेरी ट्रेन एक घण्टा बीस मिनट लेट थी। रात 12.20 बजे लखनऊ पहुंचने के बाद चार बाग रेलवे स्टेशन से प्री-पेड आॅटो द्वारा विकास नगर पहुंचा। मां भी साथ थीं। एक रजाई, दो बैग और एक झोला कुल मिलाकर चार सामान थे हम लोगों के साथ। हम लोग रात 1.00 बजे तक विकास नगर पहुंच तो गए लेकिन पैसा देने की जल्दी में एक झोला आॅटो में ही छूट गया। आॅटो वाला भी जल्दी में था। जबतक हमारी आवाज़ उसके कान तक पहुंचती उसके हाथ क्लच और गियर दबा चुके थे। खुर्रम नगर चैराहा और टेढ़ी पुलिया तक चक्कर काटने के बाद भी आॅटो वाला नहीं दिखाई दिया। वापस कमरा पर पहुंचकर प्री-पेड आॅटो सर्विस की भुगतान रसीद के पीछे लिखे फोन नम्बर पर सम्पर्क किया। चार बाग पुलिस कन्ट्रोल रूम का था। जिस व्यक्ति ने मेरा फोन रिसीव किया उन्हें मैंने अपना नाम, पता और मोबाइल नम्बर के अलावा भुगतान रसीद पर अंकित आॅटो का नम्बर और आटो चालक का नाम बताया। मुझे अगली सुबह मुझे चार बाग पुलिस स्टेशन पर आने के लिए कहा गया। 5 मिनट के अन्दर ही मेरे मोबाइल पर फोन करके बताया गया कि बैग खोने की बात प्री-पेड आॅटो पर तैनात व्यक्ति को बता दी गयी है। पता चलने पर मुझे सूचित किया जाएगा। पर ये क्या कि अभी ठीक से रात के दो भी नही ंबजे थे कि वह आॅटो, जिसमें मेरा बैग छूट गया था, वापस आ चुका था।
हम लोग हैरान रह गए कि क्या इतने कम समय में भी कोई विभाग या व्यक्ति किसी समस्या का संज्ञान लेता है। यकीन कीजिए ऐसा ही हुआ। मेरे मकान मालिक की नींद ज़रूर खराब हुई लेकिन पहली बार खाकी की तारीफ में मुझे शब्द ढ़ूंढ़ना पड़ रहा है और शब्द मिल नहीं रहे हैं।
वाक़ई लखनऊ पुलिस की तारीफ में आज बहुत कुछ कहने को जी चाहता है। मैं लखनऊ पुलिस का विशेषकर 25.12.2011 की मध्यरात्रि ड्यूटी पर तैनात उस पुलिस वाले बन्धु, जिनका नाम नहीं पूछ सका, का विशेष रूप से आभार और शुक्रिया अदा करता हंू।
इस घटना ने अबतक पुलिस महकमे के बुरे अनुभवों को भुलाने की वजह दे दी है। फिर भी पुराने अनुभव मेरे लेखन का हिस्सा बन चुके हैं इसलिए किसी न किसी रूप में अभिव्यक्त तो होंगे ही। खासकर इस घटना से आठ दिन पहले वाली घटना जब उसी प्री-पेड काउण्टर पर तैनात महकमे का व्यक्ति ने मुझसे यह कहकर अधिक पैसे की रसीद बनाने की कोशिश की थी कि मेरे साथ लेडिज है फिर भी मैं बहस कर रहा हूं। यह घटना 18.12.2011 की रात 10.25 बजे की है। बहरहाल इस वक्त मैं शिकायत नहीं प्रशंसा के मूड में हूं। एक बार फिर लखनऊ पुलिस को बधाई।
आटो चालक रवि जिसके आटो का नम्बर 5265 है का भी शुक्रिया इस उम्मीद के साथ कि यात्रियों के साथ अच्छा बरताव के लिए किसी आमिर खां के विज्ञापन की जरूरत न पड़े।

No comments:

Post a Comment